भजन - Bhajan 38
भजन - Bhajan 38

भजन - Bhajan 38

क्षमा और चिकित्सा के लिए प्रार्थना

भगवान की आराधना में साउल के बिबिल अध्याय 38 में दाऊद अपनी पापों और उनपर हुए शारीरिक और भावनात्मक दर्द के बारे में उसका विलाप करता है। वह क्षमा और उपचार के लिए प्रार्थना करता है, स्वीकार करता है कि उसकी मुसीबतें उसके अपने दुर्व्यवहार का परिणाम हैं। अपने विलाप के बावजूद, दाऊद भगवान की कृपा और शक्ति में विश्वास करता है जो उसे पुनर्स्थापित करने में सक्षम है।
1हे यहोवा क्रोध में आकर मुझे झिड़क न दे,
2क्योंकि तेरे तीर मुझ में लगे हैं,
3तेरे क्रोध के कारण मेरे शरीर में कुछ भी
4क्योंकि मेरे अधर्म के कामों में
5मेरी मूर्खता के पाप के कारण मेरे घाव सड़ गए
6मैं बहुत दुःखी हूँ और झुक गया हूँ;
7क्योंकि मेरी कमर में जलन है,
8मैं निर्बल और बहुत ही चूर हो गया हूँ;
9हे प्रभु मेरी सारी अभिलाषा तेरे सम्मुख है,
10मेरा हृदय धड़कता है,
11मेरे मित्र और मेरे संगी
12मेरे प्राण के गाहक मेरे लिये जाल बिछाते हैं,
13परन्तु मैं बहरे के समान सुनता ही नहीं,
14वरन् मैं ऐसे मनुष्य के तुल्य हूँ
15परन्तु हे यहोवा,
16क्योंकि मैंने कहा,
17क्योंकि मैं तो अब गिरने ही पर हूँ;
18इसलिए कि मैं तो अपने अधर्म को प्रगट करूँगा,
19परन्तु मेरे शत्रु अनगिनत हैं,
20जो भलाई के बदले में बुराई करते हैं,
21हे यहोवा, मुझे छोड़ न दे!
22हे यहोवा, हे मेरे उद्धारकर्ता,