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राजा का क्रोध, जवान सिंह के गर्जन समान है;
दाखमधु ठट्ठा करनेवाला और मदिरा हल्ला मचानेवाली है;
मकद्दमें से हाथ उठाना, पुरुष की महिमा ठहरती है;