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स्वामी ने दास से कहा, ‘सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।
दास ने फिर कहा, ‘हे स्वामी, जैसे तूने कहा था, वैसे ही किया गया है; फिर भी जगह है।’
क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि उन आमन्त्रित लोगों में से कोई मेरे भोज को न चखेगा’।”